बिसरती परंपराओं का सूर्योदय - Traditions And Culture (Duniya Mere Aage, 1 August 2022)
Aug 1, 2022 ·
4m 47s
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Description
लोक जीवन की विरासतीय परंपराओं में कभी पूरा सामाजिक आचार-विचार रसा बसा हुआ करता था। कालांतर में कालचक्र के पहिए ने भले उसकी दशा-दिशा बदल दी, लेकिन मानव मन के अंत:स्थल में जमी वह परत आज भी करवट ले ही लेती है। जिंदगी की भाग-दौड़ और आपाधापी में कभी-कभी हमने इतनी तेजी से कदम बढ़ाया, मानो अतीत से हमारा तादात्म्य कभी था ही नहीं। चूंकि किसी वृक्ष की अंतिम ऊंचाई पर जाकर हम वहां अधिक देर रुक नहीं सकते या कूद नहीं सकते, इसलिए मिथ्या मर्यादा से मुदित हो हम उस शिखर पर कुछ पल ठिठक कर इस चिंतन में लीन हो जाते हैं कि आखिर लौटें तो लौटें कैसे- लोग क्या कहेंगे। इस ऊहापोह से निवृत होते ही हम पेड़ पर जैसे चढ़े थे, उसी रास्ते वापसी का विकल्प तय कर धरती पर वापस आ जाते हैं।
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